बोलता सच : पुरुष और महिलाओं के लिए घर पर सोना रखने की अलग-अलग कानूनी सीमाएं हैं। इस लेख के जरिये आप ये जान सकते हैं कि आप कितना सोना अपने घर पर रख सकते हैं और सुरक्षित भंडारण के लिए आपको किन नियमों का पालन करना होगा। भारतीय संस्कृति में सोने का एक महत्वपूर्ण स्थान है। सोने को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कई लोग सोने में निवेश करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कानून के तहत एक व्यकित कितना सोना अपने पास रख सकता है। अगर आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो चलिए टैक्स और इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन से जानते और समझते हैं सोने से जुड़े नियमों को।
क्या वास्तव में कोई सीमा है जिस तक कोई सोना रख सकता है?
भारत में हमारे पास गोल्ड कंट्रोल एक्ट, 1968 था, जो नागरिकों को निश्चित मात्रा से अधिक सोना रखने से रोकता था। हालांकि, इसे जून 1990 में समाप्त कर दिया गया था इसलिए वर्तमान में भारत में कोई भी व्यक्ति कितना सोना रख सकता है, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
आयकर विभाग के दिशानिर्देश क्या हैं जो करदाताओं को सोना रखने की अनुमति देते हैं?
हालांकि सोने के आभूषणों या गहनों को रखने की कोई सीमा नहीं है, लेकिन विवादों से बचने और एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 11 मई 1994 को अपने अधिकारियों के लिए निर्देश जारी किए थे, जिसमें उन्हें निर्देश दिया गया था कि वे आयकर की छापेमारी के दौरान व्यक्ति के परिवार के सदस्यों के निश्चित सीमा तक सोने के आभूषण और गहने जब्त न करें।
इन निर्देशो के अनुसार, आयकर अधिकारी विवाहित महिला के लिए 500 ग्राम तक सोने के आभूषण जब्त नहीं करेंगे। अविवाहित महिला के लिए यह सीमा 250 ग्राम है। पुरुष के लिए, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित, सीबीडीटी ने परिवार के प्रत्येक पुरुष सदस्य के लिए 100 ग्राम की सीमा निर्धारित की है।
इस परिपत्र के क्या निहितार्थ हैं?
यह परिपत्र छोटी मात्रा में आभूषणों की जब्ती के मामलों से बचने और इस मामले में एक समान दृष्टिकोण रखने के लिए जारी किया गया था। इस परिपत्र का कहना है कि आयकर अधिकारी निर्दिष्ट सीमा तक सोने के आभूषण जब्त नहीं कर सकते, भले ही परिवार की आय और सामाजिक स्थिति इतने सोने के आभूषण और गहने रखने की पुष्टि न करती हो।
सीबीडीटी निर्देश यह नहीं बताता कि कोई व्यक्ति किसी भी रूप में कितना सोना रख सकता है, लेकिन यह केवल करदाताओं को उनके आभूषणों को आयकर अधिकारी द्वारा छापेमारी के दौरान जब्त करके ले जाने से राहत प्रदान करता है। कृपया ध्यान दें कि यह निर्देश केवल परिवार के आभूषणों और गहनों को कवर करता है। इसलिए, गैर-परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाले आभूषण, मात्रा की सीमा के बिना जब्त किए जा सकते हैं।
सही बिल दिखाते हैं तो अधिकारी आपका सोना नहीं जब्त कर सकते
इस निर्देश के अनुसार, कर अधिकारी सभी परिस्थितियों में निर्दिष्ट सीमा तक सोने के आभूषणों को जब्त करके नही ले जा सकते हैं, भले ही छापेमारी के समय आभूषणों के प्राप्ति का स्रोत स्पष्ट न हो। हालांकि, यदि आपके पास निर्देश में उल्लिखित सीमा से अधिक आभूषण हैं, तो कर अधिकारी अतिरिक्त आभूषणों को तब तक जब्त और ले नहीं सकते अगर आप अतिरिक्त मात्रा को खरीदने के सही बिल उपलब्ध करा देते हैं।
सोने के आभूषण या तो स्व-अर्जित हो सकते हैं या आपको उपहार या विरासत के रूप में प्राप्त हुए हो सकते हैं। इसलिए, यदि निर्दिष्ट सीमाओं से अधिक आभूषणों को विरासत में प्राप्त होने का दावा किया जाता है, तो आपको इसे कुछ दस्तावेजी साक्ष्य के साथ साबित करना पड़ेगा। दस्तावेजी साक्ष्य वसीयत के रूप में हो सकते हैं, जो मृत व्यक्ति के धन कर रिटर्न या आयकर रिटर्न द्वारा समर्थित हों। इसी तरह, उपहार के रूप में प्राप्त आभूषणों के लिए, आप इसी तरह के ठोस सबूत प्रस्तुत कर सकते हैं।
कृपया ध्यान दें कि उपरोक्त परिपत्र किसी भी तरह से परिपत्र में उल्लिखित सीमाओं तक सोने के आभूषणों के स्वामित्व को वैध नहीं करता। हालांकि कुछ उच्च न्यायालयों ने माना है कि निर्दिष्ट सीमाओं तक सोने के आभूषणों की कीमत को करदाताओं की आय में नहीं जोड़ा जा सकता, लेकिन मुझे अब भी लगता है कि भले ही आयकर अधिकारी आभूषणों को जब्त न करें और सोने के आभूषणों का रिकॉर्ड और प्रविष्टि करने के बाद छोड़ दें, आपको फिर भी ऐसे आभूषणों के स्रोत को स्पष्ट करना होगा, अन्यथा मामला मुकदमेबाजी में जा सकता है।
बैंकिंग लेनदेन से सोना खरीदा तो नहीं होगी कोई समस्या
इसलिए, आपके द्वारा कर भुगतान किए गए धन से खरीदे गए सोने के आभूषणों के लिए आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, बशर्ते आप यह साबित कर सकें कि आभूषण आपके द्वारा कैसे खरीदे गए। यह आवश्यक नहीं है कि सोने के आभूषण चेक या क्रेडिट/डेबिट कार्ड के माध्यम से खरीदे गए हों, लेकिन अगर इन्हें बैंकिंग लेनदेन के माध्यम से खरीदा गया है तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन नकद खरीद के मामले में आपके दावे को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नकद निकासी होनी चाहिए कि यह कर भुगतान किए गए धन से खरीदा गया था। मैं आपको सलाह दूंगा कि आप ऐसी खरीद के सभी बिल को संभाल कर रखें। उन मामलों में भी जहां ऐसे आभूषणों का एक्स्चेंज या परिवर्तन किया गया है, कृपया मूल खरीद के बिल के साथ लेबर चार्ज के सभी बिल भी सुरक्षित रखें।
सीबीडीटी के ये निर्देश केवल सोने के आभूषणों पर लागू होता है, न कि किसी अन्य रूप में सोने या अन्य प्रकार के आभूषणों जैसे हीरे के आभूषण, कीमती पत्थर आदि पर। इसलिए, अगर आप उनके प्राप्ति के स्रोत को साबित नहि कर पाते हैं तो कर अधिकारी छापेमारी के दौरान पाए गए सोने के सिक्के, सोने की छड़ें और गैर-सोने के आभूषणों को जब्त कर सकते हैं, भले ही उनका वजन निर्दिष्ट सीमाओं के भीतर ही क्यों न हो।
हालांकि वेल्थ टैक्स को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन इससे पहले 31 मार्च 2015 तक, यदि शुद्ध टैक्सेबल वेल्थ 30 लाख रुपए से अधिक था, तो वेल्थ टेक्स क रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य था। इसलिए, यदि आपके वेल्थ टैक्स रिटर्न में इन सोने के आभूषणों और सिक्कों और छड़ों को शामिल किया गया है, तो ऐसे आइटमों का स्रोत प्रथम दृष्टया स्पष्ट हो जाता है।
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