बोलता सच संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने जनपदवासियों से अपील की है कि वे गर्मी और लू से बचाव के लिए सावधानी बरतें और आवश्यकता न होने पर दिन के सबसे गर्म समय सुबह 11 बजे से दोपहर 4 बजे तक घर से बाहर न निकलें। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और किसानों के लिए चेतावनी
जिलाधिकारी ने कहा कि छोटे बच्चों, बुजुर्गों, किसानों और पशुओं को इस मौसम में विशेष देखभाल की जरूरत है। लू एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। जिससे शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है और यह जानलेवा हो सकती है। ऐसे में सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय है।
धूप में निकलते समय रखें ये ध्यान
बाहर निकलना अनिवार्य हो तो सिर को टोपी, गमछा या रूमाल से ढकें और हल्के रंग के ढीले, सूती कपड़े पहनें। नींबू पानी, छाछ, आम पना जैसे तरल पदार्थों का नियमित सेवन करें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। अधिक गर्मी महसूस होने पर छायादार और हवादार जगह पर ठहरें।
गर्मी के लक्षण दिखें तो तुरंत लें चिकित्सकीय मदद
अगर किसी को चक्कर आना, उल्टी, बुखार या कमजोरी जैसे लक्षण महसूस हों तो उसे तत्काल निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर डॉक्टर से परामर्श कराना चाहिए। लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
पशुओं की देखभाल भी जरूरी
पशुओं को भी इस भीषण गर्मी से राहत दिलाना आवश्यक है। उन्हें छायादार और स्वच्छ जगह पर रखें, ठंडा पानी पिलाएं और दिन में एक-दो बार ठंडे पानी से नहलाएं। अगर पशु सुस्त दिखे या खाना न खाए तो पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।
किसानों को सुबह-शाम खेतों में काम करने की सलाह
जिलाधिकारी ने किसानों से अपील की है कि वे खेतों में काम सुबह और शाम के समय करें। दोपहर में शरीर को विश्राम दें और खेतों पर छाया, पानी और ओआरएस का इंतजाम रखें। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने कहा, “यह समय बेहद सतर्क रहने का है। हम प्रशासनिक स्तर पर तैयार हैं, लेकिन जन सहयोग से ही इस संकट से पूरी तरह निपटा जा सकता है।” उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे धूप में छाता या टोपी का इस्तेमाल करें, तला-भुना खाना टालें और लू के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें।
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